शनिवार, 7 जून 2014

बात सुनो पछुआ पवन


बात सुनो पछुआ पवन
बात सुनो पछुआ पवन
अर्जन के उत्सव में रहने दो शेष तनिक
रिश्तों की स्नेहिल छुवन
बात सुनो पछुआ पवन
परदेसी पाती के अक्षर में पाने को
घिरते हैं अर्थ कई नयनों में बावरे
दोपहरी ग्रीसम की राहों में टक बांधे
खोले है बनजारे मन के सब घाव रे
अंखियों में पड़ आई झाईं की टीस लिखो
और पढो गीले नयन
बात सुनो पछुआ पवन
पीपल के पत्तों में डोला है सूनापन
पनघट की पाटी पर संझा के पांव पड़े
शहरों ने छीन लिए बेटे जवान सभी
बुढ़िया-से झुके-झुके गुमसुम सब गाँव खड़े
जाओ ना और कोई बेटा तुम छीनकर
लाने का देखो जतन
बात सुनो पछुआ पवन ।

....आचार्य रामपलट दास