बुधवार, 3 मई 2017

तुमने मेरे यार कहा था देश नही झुकने दूंगा।

फिर शेरों की बलि दी गयी दुमकटे सियारों के आगे। 
फिर से जुगनू थूक रहा है सूरज के माथे पे आके। 

घात लगाकर वार किया है छुपे हुए मक्कारों ने। 
हाय कलेजा चीर दिया पापी बर्बर हत्यारों ने। 

कितने ज्वान परोसोगे तुम पाकिस्तानी श्वानों को। 
कितने दिन तक फूकोंगे बस निंदा के तूफानों को। 

कितने लाल हलाल हुए हृदय तुम्हारा नही कलपता। 
प्याले कितने टूट गये  सब्र तुम्हारा नही छलकता। 

तुमने मेरे यार कहा था देश नही लुटने दूंगा। 
तुमने मेरे यार कहा था देश नही झुकने दूंगा। 

देश लुटा है देश झुका है राजनीति के पापों से। 
घाटी मुक्ति मांग रही है आस्तीन के साँपों से। 

तीन साल चौदह से बीते दिल्ली में मधुमास रहा। 
कश्यप के बेटों के हिस्से एकमात्र  वनवास रहा। 

रोज रोज मरने से अच्छा एक बार मर जाने दो। 
अबकी बारी आर पार सरकार मेरे हो जाने दो।