शुक्रवार, 30 जून 2017

मंगल ग्रह की बातें सब

ख्वाब देखने की जिद थी लेकिन आँखों में नींद नही
उन्ही  सवालों पर दिल  हारे  उत्तर  की उम्मीद नही ।

मुझको भी तो इश्क हुआ था पर कैसे साबित कर दूँ
चिट्ठी जो तुम तक भेजी थी उसकी कोई रसीद नही।

ये रानाई  जलसे  महफ़िल  मंगल  ग्रह की बातें सब
चाँद  फुलाकर  मुंह  बैठा  है  यह तो कोई ईद नही ।

मौसम  जैसेे  चले  गये  तुम  ऐसे  कोई  जाता  क्या
मुड़ कर भी इक बार न देखा कोई भी ताकीद नही।

रात  चाँदनी  सबा  सुहानी  लहरें  अब  भी उठती हैं
वही समन्दर वही किनारे पर अब  कोई  मुरीद नही।